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Saturday, April 3, 2010

बौराने का परिणाम


जो बौराते उनको अक्सर फलना पड़ता है
मीठी अमिया भी पहले खट्टी ही फलती है
* * * * * * * * *
ग़ज़ल की शक्ल पाकर ये शेर जल्दी ही हाज़िर होगा, संगम-तीरे पर
ग़ज़ल, वादे के मुताबिक हाज़िर हुई - अप्रैल 4, 2010 को।

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2 comments:

M VERMA said...

मुखड़ा शानदार है
गज़ल का इंतजार है

Pramendra Pratap Singh said...

बेहतरीन