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Friday, April 2, 2010

मोरःप्राकृतिक जीवन

आँखेँ जुड़ा गईँ और गरम दुपहरी भी खली नहीँ, मोर परिवार से मिल कर।

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1 comment:

Udan Tashtari said...

कहाँ मिले महाराज?

आनन्द आ गया होगा (अरे हाँ, कहे तो हैं कि आँखे जुड़ा गईं.