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मूलत: यह एक इलाहाबादी ब्लॉग है उस संगम के तीर(तट) से, जिसमें पवित्र नदियों गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है जो यहाँ की साहित्यिक-सांस्कृतिक अन्तर्धारा में प्रवाहित है।
1 comment:
कहाँ मिले महाराज?
आनन्द आ गया होगा (अरे हाँ, कहे तो हैं कि आँखे जुड़ा गईं.
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