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Friday, April 16, 2010

कोलकाता का झूला पुल

यह पुल बीच से आधार पर झूल कर घूमता है और दिख रहे दीर्घवृत्ताकार आधार पर टिक कर रुकता है तब जहाज़ोँ का बंदरगाह मेँ आना जाना संभव हो पाता है।
यह चालू हालत मेँ है। सुरक्षा कारणोँ से चित्र केवल अंशत: दिखाया गया है।

मुंबई : काव्यचित्र

सपनोँ का पुल : वांद्रे-वर्ली समुद्र पर

मुंबई : चेहरे

मुंबई : क्वीँस नेकलेस

Wednesday, April 14, 2010

नज़्मो-ग़ज़ल कहने का आसान तरीक़ा

सबसे पहले दर्द मेँ डूबे कुछ अल्फ़ाज़ चुनो,
फिर उन्हेँ ग़म की हरारत पे देर तक सेँको;
अनमने से रहो, रातें गुज़ारो आँखोँ मेँ,
करवटेँ यूँ लो के नीँद आए भी तो सो न सको।
उदास दिल, ज़ुबाँ गुमसुम मगर मुस्काते होँ लब,
नज़र मेँ ख़्वाब होँ ऐसे जो पूरे हो न सकेँ;
ये सलीका है क़ामयाब नज़्म कहने का।
बात आगे बढ़े, बढ़कर जुनूँ-फ़ितूर बने,
वक़्त समझो के आ रहा है ग़ज़ल कहने का।
दीवानापन अगर इतना बढ़े - सब तंज़ कसेँ,
यही अस्बाबो-हुनर है न ग़ज़ल कहने का...