साथी

Thursday, March 11, 2010

आराध्य को प्रणाम

यह अपने आराध्य को प्रणाम है मेरा। माना कि चित्र कुछ विशेष अच्छे न लग रहे हों, पर यह हैं तो मेरे आराध्य के ही, जहाँ श्रद्धा, निष्ठा और प्रेम का महत्व होता है वहाँ रूप आकार गौण हो जाते हैं। इसी आस्था और प्रेम के सहारे देख पाते हैं लोग पत्थर में भगवान।
मुझे भी ऐसा ही लगता है कि हर रूप में नारायण ही मिलते हैं, चाहे वह मित्र का रूप हो या शत्रु का; संबंधी का हो या अजाने का। इसी से प्रणाम सभी को, आपको भी, क्योंकि आप भी भगवान ही हैं मेरे लिए तो।आज बस इतना ही।

Sunday, March 7, 2010

वसंती हो गए

मैंने प्रयोग बड़ा आसान सा किया है - सिर्फ़ यह किया है कि जो ब्लॉग पर डालना था उसको सीधे जेपीईजी इमेज के फ़ॉर्मैट में परिवर्तित करके छाप दिया है। पोस्टरस पर तो यह सफल रहेगा ही। अब देखने यह जा रहा हूँ कि अन्य ब्लॉग-सेवा-प्रदाताओं ने क्या किया मेरी इस हरकत के जवाब में।

वसंती हो गए : बौराए मौसम में एक प्रयोग

वसंती हो गए : बौराए मौसम में एक प्रयोग-भाग 2

वसंती हो गए : बौराए मौसम में एक प्रयोग-भाग 3

वसंती हो गए : बौराए मौसम में एक प्रयोग-भाग4

वसंती हो गए : बौराए मौसम का एक प्रयोग