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Monday, March 15, 2010

नवरात्र की तैयारियाँ और देवी दर्शन

दिनांक 16 मार्च को चैत्र प्रतिपदा के अवसर पर कलशस्थापन के साथ ही नवरात्रिपूजन प्रारंभ होगा।
बाज़ार अटे पड़े हैं पूजा के सामानों से। चुनरी, नारियल, वस्त्र, मेवा, सिंहासन, कलावा, धूप-अगरबत्ती आदि।
फूल-मालाएँ वैसे तो रोज़ आने वाली वस्तुएँ हैं, मगर आजकल इनकी मात्रा और खेप बढ़ी हुई है।
नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के चित्र, विभिन्न फ़्रेमों और आकारों में उपलब्ध हैं। ये भी "कमोडिटी" ही तो हैं व्यापार में। मोल-तोल हो रहा है - आकार, फ़्रेम, आकर्षकता और विक्रेता की क्षमता और साख के अनुसार।
जनरल स्टोर वाले भी अवसर को भुनाने में लगे हैं, या शायद ग्राहक की सेवा में, द्वार पर ही सभी साधन ला देने को आतुर। रविवार के दिन साप्ताहिक बन्दी के बावज़ूद बाज़ारों में ख़ासी गहमा-गहमी थी।
रविवार को इलाहाबाद के चौक से लिए गए यह दृश्य प्रस्तुत हैं जिनमें 1857 के शहीदों की स्मारक-पट्टिका का सदुपयोग हो रहा है सड़क को घेरते अतिक्रमण के आधार के रूप में बने स्टॉल पर और पूजन सामग्री टिकाने के लिए।
यह पूर्वी उत्तर-प्रदेश के किसी भी नगर के लिए आम दृश्य हो सकता है, मगर यहाँ प्रस्तुत इसलिए किया मैंने क्योंकि मैंने नवरात्र के पूर्व विन्ध्याचल की अपनी यात्रा के दौरान देवी के रूप को साक्षात् देखा।
मैंने एक चित्र भी लिया, जो अगली पोस्ट में आपको प्रस्तुत करूँगा, यथासंभव आज रात्रि को ही या कल। देखिए मोबाइल कैमरे से लिए गए इस चित्र में आप को देवी दिखती हैं या नहीं, यह तो आप स्वयं ही जान पाएँगे।

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