
प्राचीन संस्कारों पर तुम
अधुना की पहली ईंट धरो
जो सभ्य शिष्ट सब श्व: को दो,
कुत्सित सब ह्य: की भेंट करो
हर सत्य बना डालो सुंदर,
पर सभी अमंगल शिवम् हरे
सारे रत्नों को बाँटे तो,
पर गरल-पान वह स्वयम् करे
विध्वंस करो, पर याद रहे!
उससे दूना निर्माण करो
स्वर्णिम कल की बलिवेदी पर,
अर्पित तुम अपने प्राण करो
जब दर्द हृदय में उठे; नहीं-
आँखें आँसू की ओट करो
हे नवयुग के निर्माता तुम
दूनी ताकत से चोट करो
गढ़-गढ़कर प्रतिमा कल की तुम,
हो सके-आज तैयार करो
कह दो तानाशाहों से- मत
जज़्बातों का व्यापार करो
है आज रुष्ट जो मूर्ति,
तुम्हारी छेनी और हथौड़े से
कल वह महत्व पहचानेगी,
लोगों के शीश झुकाने का
जो आज बना विद्रोही है,
हर रूढ़ि और अनुशासन का-
इतिहास गवाही देता वह-
निर्माता नए ज़माने का!
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चित्र : गूगल से साभार, संपादित
11 comments:
अच्छी रचना है.
पढ़कर भवानी प्रसाद मिश्र की याद ताजा हो गई
वे भी ऐसा ही लिखते थे
सतपूड़ा के घने जंगल-उघंते अनमने जंगल
आपको बधाई.
धन्यवाद राजकुमार जी!
नमस्कार।
आपने अगर झूठ भी तारीफ़ की, तो भी ये बहुत बड़ी तारीफ़ है मेरे लिए, और मैं आभारी हूँ।
अभी कल ही बज़ पर मैं मित्रों से भवानीप्रसाद मिश्र जी की "त्रिकाल-संध्या" की एक रचना पर चर्चा कर रहा था। वहीं एक मित्र को उत्साहवर्द्धन हेतु, शुभेच्छास्वरूप इस रचना को ले आया और पोस्ट कर दिया, यह मेरी तब की रचना है जब मैं 17 वर्ष की वय का था, 18वीं वर्षगाँठ अभी सात माह दूर थी।
आभार,
oj se paripurna ek saarthak rachna ...bahut badhai...
विध्वंस करो, पर याद रहे!
उससे दूना निर्माण करो
बहुत सुन्दर आह्वान
सोनी जी से सहमत
श्व: और ह्य: जैसे शब्द तो मृत की श्रेणी में आयेंगे, पर आपने सत्रह वर्ष में ही इनको पुनरुज्जीवित करने का प्रशंसनीय प्रयास किया.
हमको लगा कि हिमांशु जी कोई इलाहाबादी भर ही हैं. (कोई एक आदमी)
पर अब लगता है कि कोई पढ़ा-लिखा हिमांशु मोहन है जो सच में सम्मान पाने योग्य है.
कविता तो कुछ ख़ास नहीं लगी, पर आज आप हमें बहुत ही ख़ास लगे.
हमें अपने तो अपने लगते ही हैं !!!! (मतलब हम हर किसी से घुल-मिल जाते हैं)
पर पढ़े-लिखे आदमी की यही समस्या होती है कि उसे पढ़ा-लिखा आदमी ही पसंद आता है और वह कुछ ज्यादा ही प्रिय लगता है जैसे कि आप हमें अच्छे लगने लगे. :)
"17 साल के वे तेवर-जिसमें युवा कुछ भी कर गुज़रने का माद्दा रखता है-आप में अभी-भी बरकरार हैं और "बिगुल" तो केवल अभिव्यक्ति थी और अभी भी है-एक बेहतरीन अभिव्यक्ति..."
पुराना माल समय के साथ बहुमूल्य हो जाता है। संजो कर रखने वाला जरूर जानता रहा होगा उनका मूल्य!
@दिलीप
धन्यवाद दिलीप। आप हिन्दी में लिखते हैं, देवनागरी में। टिप्पणी भी अगर देवनागरी में करें तो एक कदम और आगे बढ़े आपका यह प्रशंसनीय प्रयास। आपकी टिप्पणियाँ अन्य ब्लॉगों पर भी पढ़ता रहता हूँ, आपके युवामन के साथ परिपक्व और आशावादी सोच झलकती है, इसलिए कह रहा हूँ। शुभकामनाएँ,
@M VERMA
क्या कहूँ? आभार और धन्यवाद!
@E-Guru Rajeev
राजीव जी, आभार। आपकी उक्ति से विचार-तंत्री झंकृत हो गई, अब एक और शे'र कहूँगा, फिर झिलवाऊँगा, तैयार रहिएगा। अभी के लिए सिर्फ़ इतना है कि निदा फ़ाज़ली के इस शे'र पे निगाह डालिए -
हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना तो कई बार देखना
@Amitraghat
आभार आपकी उक्ति का, मगर मैं ख़ुद भी यही गौर कर रहा हूँ कि मेरे साथी जो बन रहे हैं, ज़्यादातर वे सब युवा या अतियु्वा ही हैं। इसके दो अर्थ हो सकते हैं - या तो मेरी सोच अभी इतनी परिपक्व नहीं हुई जो परिपक्व पीढ़ी को रुचे, या फिर अभी इतनी जवान सोच बाक़ी है जो युवा पीढ़ी की समझ में आती है। मुझे दूसरी बात अपने लिए सुविधाजनक लगती है, सो वही माने लेता हूँ।
शुभकामनाओं सहित,
@ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey
प्रणाम गुरू जी,
चुटकी ले रहे हैं! :)
मुझे समझ थी नहीं ज़्यादा, अच्छे बुरे की(आज भी नहीं है)। पिता जी ने कहा-यह तुमने अच्छा लिखा है, इसे सँभाल लो डायरी में, सो कर लिया।
अब वे हैं नहीं।
अब जो अर्द्धाङ्गिनी जो कहती हैं, मान लेता हूँ।
:)
महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इनाम
पोस्ट लिखने वाले को भी मिलेगी 11 हजार की नगद राशि
आप सबने श्रेष्ठ महिला ब्लागर कौन है, जैसे विषय को लेकर गंभीरता दिखाई है. उसका शुक्रिया. आप सबको जलजला की तरफ से एक फिर आदाब. नमस्कार.
मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं कुमार जलजला के नाम से लिखता-पढ़ता हूं. खुदा की इनायत है कि शायरी का शौक है. यह प्रतियोगिता इसलिए नहीं रखी जा रही है कि किसी की अवमानना हो. इसका मुख्य लक्ष्य ही यही है कि किसी भी श्रेष्ठ ब्लागर का चयन उसकी रचना के आधार पर ही हो. पुऱूषों की कैटेगिरी में यह चयन हो चुका है. आप सबने मिलकर समीरलाल समीर को श्रेष्ठ पुरूष ब्लागर घोषित कर दिया है. अब महिला ब्लागरों की बारी है. यदि आपको यह प्रतियोगिता ठीक नहीं लगती है तो किसी भी क्षण इसे बंद किया जा सकता है. और यदि आपमें से कुछ लोग इसमें रूचि दिखाते हैं तो यह प्रतियोगिता प्रारंभ रहेगी.
सुश्री शैल मंजूषा अदा जी ने इस प्रतियोगिता को लेकर एक पोस्ट लगाई है. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए हैं। वयोवृद्ध अवस्था की वजह से उन्होंने अपने आपको प्रतियोगिता से दूर रखना भी चाहा है. उनके आग्रह को मानते हुए सभी नाम शामिल कर लिए हैं। जो नाम शामिल किए गए हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.
आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने-अपने ब्लाग पर निम्नलिखित महिला ब्लागरों किसी एक पोस्ट पर लगभग ढाई सौ शब्दों में अपने विचार प्रकट करने हैं। रचना के गुण क्या है। रचना क्यों अच्छी लगी और उसकी शैली-कसावट कैसी है जैसा उल्लेख करें तो सोने में सुहागा.
नियम व शर्ते-
1 प्रतियोगिता में किसी भी महिला ब्लागर की कविता-कहानी, लेख, गीत, गजल पर संक्षिप्त विचार प्रकट किए जा सकते हैं
2- कोई भी विचार किसी की अवमानना के नजरिए से लिखा जाएगा तो उसे प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाएगा
3- प्रतियोगिता में पुरूष एवं महिला ब्लागर सामान रूप से हिस्सा ले सकते हैं
4-किस महिला ब्लागर ने श्रेष्ठ लेखन किया है इसका आंकलन करने के लिए ब्लागरों की एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. नियमों व शर्तों के कारण नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है.
5-जिस ब्लागर पर अच्छी पोस्ट लिखी जाएगी, पोस्ट लिखने वाले को 11 हजार रूपए का नगद इनाम दिया जाएगा
6-निर्णायकों की राय व पोस्ट लेखकों की राय को महत्व देने के बाद श्रेष्ठ महिला ब्लागर को 21 हजार का नगद इनाम व शाल श्रीफल दिया जाएगा.
7-निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.
8-किसी भी विवाद की दशा में न्याय क्षेत्र कानपुर होगा.
9- सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लागर एवं पोस्ट लेखक को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आने-जाने का मार्ग व्यय भी दिया जाएगा.
10-पोस्ट लेखकों को अपनी पोस्ट के ऊपर- मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ ब्लागर अनिवार्य रूप से लिखना होगा
ब्लागरों की सुविधा के लिए जिन महिला ब्लागरों का नाम शामिल किया गया है उनके नाम इस प्रकार है-
1-फिरदौस 2- रचना 3-वंदना 4-संगीता पुरी 5-अल्पना वर्मा- 6 –सुजाता चोखेर 7- पूर्णिमा बर्मन 8-कविता वाचक्वनी 9-रशिम प्रभा 10- घुघूती बासूती 11-कंचनबाला 12-शेफाली पांडेय 13- रंजना भाटिया 14 श्रद्धा जैन 15- रंजना 16- लावण्यम 17- पारूल 18- निर्मला कपिला 19 शोभना चौरे 20- सीमा गुप्ता 21-वाणी गीत 21- संगीता स्वरूप 22-शिखाजी 23 –रशिम रविजा 24- पारूल पुखराज 25- अर्चना 26- डिम्पल मल्होत्रा, 27-अजीत गुप्ता 28-श्रीमती कुमार.
तो फिर देर किस बात की. प्रतियोगिता में हिस्सेदारी दर्ज कीजिए और बता दीजिए नारी किसी से कम नहीं है। प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तारीख 30 मई तय की गई है.
और हां निर्णायकों की घोषणा आयोजन के एक दिन पहले कर दी जाएगी.
इसी दिन कुमार जलजला का नया ब्लाग भी प्रकट होगा. भाले की नोंक पर.
आप सबको शुभकामनाएं.
आशा है आप सब विषय को सकारात्मक रूप देते हुए अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे.
सबका हमदर्द
कुमार जलजला
जब भी कहीं अत्याचार देखता हूँ
जो आज बना विद्रोही है,
हर रूढ़ि और अनुशासन का-
इतिहास गवाही देता वह-
निर्माता नए ज़माने का!
,,,,..ओजस्वी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
घूँघट में घुँट रहें न बिटियाँ, बेटा कहकर खूब पढाया.
सिर-आँखों पर जामाता, बहुओं को बिटियों सा दुलराया.
नाती-पोते थे आँखों के तारे, उनमें बसी जान थी-
'उनका संकट मुझको दे', विधना से तुमने सदा मनाया.
तुम्हें गँवा जी सके न पापा, तुम थीं उनकी परछाईं सी.
तुमको खोकर खुद को खोया, संभव कभी न भरपाई सी ...
,,,,माँ का प्यार ... बेसुमार ......
माँ को प्रणाम ..
माँ की ममताभरी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
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