----------------------------------------------------------------------------------------------------
कीड़े काटने के चिह्न |
आपने देखा कि नहीं पता नहीं, आजकल कीड़े बहुत काटने लगे हैं। अधिकतर किशोर-युवा पीढ़ी को ज़्यादा काट रहे हैं कीड़े।
महानगरों में, पूर्वोत्तर प्रान्त में, विभिन्न उच्चवर्ग (धन-आधारित) के प्रश्रय प्राप्त हलकों में, कॉलेजों में ख़ासकर, जहाँ डोनेशन आधारित प्रवेश-व्यवस्था लागू हो वहाँ भी। अमूमन ऐसा समझा जाता है कि अच्छे और महँगे इंस्टीट्यूट्स में पर्यावरण भी बेहतर होगा और आए दिन कीड़े-मकोड़े बच्चों-युवाओं को काट लें, यह तो न हो।
सुई लगाने के चिह्न |
पूर्वोत्तर और कोलकाता के क्षेत्रों में बात समझ आती है, उस इलाक़े में कीट-पतंग अधिक होते हैं गर्म और नम जलवायु के कारण। चैन्नै-मुम्बई में भी यह बहाना चल सकता है।
मगर बेंगलूरु, हैदराबाद, मनिपाल, चण्डीगढ़, दिल्ली, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर… हर जगह कीड़े काट रहे हैं और ये ज़्यादातर हाथ पर ही काटते हैं। काला-काला सा निशान पड़ जाता है हाथों पर इनके काटने के बाद। कभी-कभी किसी-किसी को कई बार काट लेते हैं - तो कई निशान पड़ जाते हैं। कभी-कभी कमर या कन्धे पर भी काट ले रहे हैं।
सुई लेने के पहले बाँह कसना |
अभी बरसात का मौसम नहीं, ऐसे में और अब से पहले के मौसम में कीड़ों का इतना काटना कुछ अजीब नहीं है?
सरकार को माहौल में सुधार लाने के लिए कुछ करना होगा। मगर आप भी कुछ कीजिए, देखिए कहीं आप के आस-पास तो किसी को कीड़े बार-बार नहीं काट रहे। आप किसी का जीवन बचा सकते हैं ऐसा करके।
ठीक ऐसे ही निशान पड़ते हैं उन हाथों पर भी जिन पर ड्रग्स/नशे का इंजेक्शन लिया जाता है, और बार-बार लिया जाता है। बहुत बार हाथों पर, कन्धे पर या अन्य शरीर पर जो टैटू बना होता है, उसमें इंजेक्शन लिए जाने पर निशान नज़र नहीं आता। इसलिए भी एकाएक टैटू चलन में आया है।
टैटू-बिच्छू |
मुझे तो पता नहीं था अब तक, मगर ऐसी चौंकाने वाली बातें पता चलते ही मैंने इसी लिए साझा करना चाहा कि शायद किसी एक को भी ज़्यादा नुकसान से बचा सके कोई, तो यह प्रयास सफल हो जाएगा।
हाथ में नशे की सुई |
दूसरे यह भी ध्यान देने की बात है कि अगर आप के सेवक, ड्राइवर या आस-पास के दुकानदार, वीडिओ-डीवीडी पार्लर वाले, या ऐसे ही अन्य किसी के हाथों पर कीड़े काटने का निशान अक्सर और लगातार ज़्यादा दिन तक दिखे तो उस पर नज़र रखने व सावधान रहने की ज़रूरत हो सकती है, अपनी सुरक्षा के लिए। नशे का आदी किसी भी अपराध में संलिप्त होने के लिए मजबूर हो सकता है, कई कारणों से।
पाँव में नशे की सुई |
विश्व स्तर पर इस सम्बन्ध में अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत में नशाख़ोरी की प्रवृत्ति भी और एच आई वी संक्रमण भी ग़रीबों-झोंपड़पट्टियों में ज़्यादा है। मुझे लगता है कि यह आँकड़े संख्या-जनित होंगे, प्रतिशत-जनित नहीं।
ऐसे लोग, ज़्यादातर एड्स के ख़तरे की ज़द में भी होते हैं क्योंकि इंजेक्शन का प्रयोग लापरवाही से या अदला-बदली से भी हो सकता है।
ये कोई सनसनी फैलाने के लिए नहीं है। हो सकता है कीड़े वाकई काट रहे हों कहीं-किसी को, मगर सावधान रहने में हर्ज है क्या?
हेरोइन पाउडर और सुई |
चित्र और कुछ महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ मिल सकती है-
http://www.navajocountydrugproject.com/meth_info.php
http://illegaleconomy.com/drugs/global-spread-of-injecting-drug-use.php
www3.endingsuicide.com/?id=1509:15145
http://www.bbc.co.uk/suffolk/content/image_galleries/drug_awareness_2007_gallery.shtml?6
17 comments:
बिलकुल. सावधान रहने में कोई बुराई नहीं.
बढ़िया पोस्ट. हाथों पर निशान की बात पहले नहीं सोची थी. आपकी पोस्ट पर फोटो देखने के बाद ज्यादा खुलकर समझ में आई है.
सावधानी जरूरी है
बहुत सार्थक पोस्ट
हम जिन बातों को मामूली समझ कर नज़रअन्दाज करते है कभी कभी खतरनाक भी हो सकता है
सावधानी ही बचाव है... बढिया पोस्ट.. जानकारी देने के लिये आभार.. :)
स्वअनूभूत सत्य : अब तक स्वयँ मुझे ऎसे 10-12 कीट कोपभाजी मिल चुके हैं ।
इनमें एक मिश्रा जी जो लखीमपुर से तबादला होकर आये थे, वह पुलिस एस.आई निकले ।
मतलब का माल न मिल पाने पर बेचारे को फ़ोर्टविन के इँजेक्शन से काम चलाना पड़ता था ।
व्यवहारिक कठिनाई : यदि ऎसा लतिहड़ ( यह कोई असँसदीय शब्द तो नहीं ? ) इस पुनीत कर्म के लिये अपनी जाँघों पर यह प्रयोग करता है, तो भाँपना मुश्किल पड़ सकता है ।
एक सुझाव : यदि सँदेह हो, तो इन दाग के अनुपस्थित होने पर भी आँखों की पुतलियाँ सत्य उजागर कर देती हैं । अधिकतर यह पुरुष ही होते हैं, अतएव आँखों में सुविधापूर्वक झाँकने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं ।
निष्कर्ष : सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन एवँ सत्यावलोकन कराती एक सार्थक पोस्ट
आपकी जिज्ञासा : अपना जालपता टिप्पणी बक्से में देना अशोभनीय है, अतः वह ई-मेल कर दूँगा ।
"बहुत ही अच्छी पोस्ट सामाजिक सरोकारों को लिये हुए....वरना कौन सोचता है आजकल ..?"
सामाजिक उत्तरदायित्वों को याद दिलाती पोस्ट ।
उपयोगी सामग्री।
डर गये हम तो !!
Prevention is Better than Cure!
आभार!
अच्छा सावधान किया आपने।
Informative post !.....Thanks.
सही कहा आपने, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
--------
क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
बहुत जिम्मेदारी से लिखा गया आलेख है । चिन्तनीय विषयों का चिन्तन खत्म होता जा रहा है और चिन्ता में डाल देने वाले विषयों में आदमी डूब रहा है। आपका आलेख अच्छी भाषा शैली के साथ उन गंभीर बातों का आकलन करता है।
बधाई
बहुत जिम्मेदारी से लिखा गया आलेख है । चिन्तनीय विषयों का चिन्तन खत्म होता जा रहा है और चिन्ता में डाल देने वाले विषयों में आदमी डूब रहा है। आपका आलेख अच्छी भाषा शैली के साथ उन गंभीर बातों का आकलन करता है।
बधाई
बहुत जिम्मेदारी से लिखा गया आलेख है । चिन्तनीय विषयों का चिन्तन खत्म होता जा रहा है और चिन्ता में डाल देने वाले विषयों में आदमी डूब रहा है। आपका आलेख अच्छी भाषा शैली के साथ उन गंभीर बातों का आकलन करता है।
बधाई
बहुत जिम्मेदारी से लिखा गया आलेख है । चिन्तनीय विषयों का चिन्तन खत्म होता जा रहा है और चिन्ता में डाल देने वाले विषयों में आदमी डूब रहा है। आपका आलेख अच्छी भाषा शैली के साथ उन गंभीर बातों का आकलन करता है।
बधाई
Post a Comment