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Sunday, May 9, 2010

अभिव्यक्ति-1

अंग्रेज़ी का एक्सप्रेशन  हिन्दी के अभिव्यक्ति का केवल भावानुवाद है, पूर्ण अनुवाद नहीं। अभिव्यक्ति में वह भी आ जाता है जो अंग्रेज़ी के इम्प्रेशन का अभिप्राय है।
यह प्रचलन के अनुसार आरोपित अर्थ है अभिव्यक्ति का।
अभिव्यक्ति का सीधा ताल्लुक सीधी बात से है। अभि से 'अभिधा' शब्दशक्ति और व्यक्ति से 'व्यक्त' की भाववाचक संज्ञा से तात्पर्य है। मज़े की बात यह है कि हम आराम से सभी प्रकार के एक्सप्रेशन को अभिव्यक्ति मानकर काम चला लेते हैं, भले ही वहाँ कोई बात कही जा रही हो या नहीं। जैसे हँसना, रोना, शब्दहीन गायन या वादन, चित्रकला इत्यादि। इससे यह भी पता चलता है कि हम कितने भावप्रवण और समझदार हैं जो अबोले को भी बूझते रहते हैं भाषाई खेल में।
भाषाओं को सीखने में यह भी एक मज़ेदार अनुभव होता है कि बहुधा जो शब्द प्रचलित अनुवाद में, यहाँ तक कि कोष में भी दिए होते हैं वे भी सम्यक् रूप से उस शब्द का पूरा और अविचल अनुवाद नहीं कर पा रहे होते। एक उदाहरण तो अभिव्यक्ति ही हो गया। अन्य भी कई शब्द हैं, जिनका सूक्ष्म भेद भाषाओं को समान अधिकार से जानने वाले ही समझ पाते हैं।
जैसे स्लैण्डर, ऐस्पर्शन, बैक-बाइटिंग, बिकरिंग आदि सब थोड़े-थोड़े अन्तर से निन्दात्मक अर्थ में प्रयुक्त होते हैं अंग्रेज़ी में। हिन्दी में कहें तो नमस्ते, नमस्कार, प्रणाम आदि सभी अभिवादन में प्रयुक्त होते हैं - मगर कभी सोचा है कि अभिवादन क्या है?
जो सामर्थ्य एक भाषा में है, वह ज़रूरी नहीं कि दूसरी में भी उस शब्द के अनुवाद में हो या अनुवाद हो ही। जैसे हिन्दी में पत्र लिखते समय, शिष्टाचारवश सभी संबन्धियों को उनकी पात्रता के अनुरूप प्रणाम, आशीष, स्नेह, प्यार आदि लिख भेजने का चलन था। 'था' इसलिए कि अब तो ख़ैर, पत्र लिखना ही 'था' हो चुका है। मगर एक वाक्यांश होता था- "घर में सबको यथायोग्य"। तो ये जो यथायोग्य था - ये था अभिवादन - सबको एक बार में, जिस की जैसी(यथा) पात्रता(योग्य), वैसा अभिवादन!
दूसरी भाषा में नहीं मिलता यह प्रयोग।
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2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

घर में यथायोग्य आसानी से प्रयोग कर लेते थे । जितना शब्दों का ज्ञान हो जायेगा, उतना बँध जायेंगे ।

Himanshu Pandey said...

शब्दों की कारगुजारियाँ बहुत हैं ! समझ में आ जाय तो बहुत ही रोचक !
आभार ।