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मूलत: यह एक इलाहाबादी ब्लॉग है उस संगम के तीर(तट) से, जिसमें पवित्र नदियों गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है जो यहाँ की साहित्यिक-सांस्कृतिक अन्तर्धारा में प्रवाहित है।
डिश जिस घर की छत पर लगी है उसी के प्रयोग मेँ है ये मेरी गवाही। घर की शक्ल से समझा जा सकता है कि मनोरंजन और सूचना की क्या प्राथमिकता है जीवन मेँ आज।
शायद कोई ब्लागिया भी रहता हो यहाँ!
हिमांशु जी, इस पेज की आपकी सभी पोस्ट पढ़ी. अच्छा लगा आपका ब्लॉग. "मनोरंजन", "बौराने का परिणाम" "अम्मा का परसा खाना" विशेषकर... -आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति"
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हिमांशु जी,
इस पेज की आपकी सभी पोस्ट पढ़ी. अच्छा लगा आपका ब्लॉग. "मनोरंजन", "बौराने का परिणाम" "अम्मा का परसा खाना" विशेषकर...
-आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति"
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