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Wednesday, September 29, 2010

सच, और सच के सिवा कुछ नहीं

बहुत दिन से ब्लॉगर की कोई साइट एक्सेस नहीं कर पा रहा था। जीमेल के सिवा कुछ चलता नहीं था, किसी का ब्लॉग पढ़ भी नहीं पाया - सो बज़ पर भी जाना रुका ही सा रहा। वो सारा वक़्त फ़ेसबुक पर बीता, अपने सम्पर्कों (जी हाँ, फ़ेसबुक पर "मित्र" नाम से मित्रता ही न समझिये…जहाँ मित्र बनाने के लिए प्रस्ताव देना पड़ता हो - वहाँ मित्रता नहीं होती - सम्पर्क ही बनते हैं, मेरी समझ और राय है - असहमति तो सभी का मौलिक अधिकार है) से बतियाने में लगा रहा।

दोस्ती तो बज़ पर ही होती है, जहाँ डॉ0 महेश सिन्हा जी ने बहुत अपनेपन से अभी कल ही टेहुनियाया हमको - कि चाहे जितना टरटरा लो - वापस यहीं आना है। वो वास्तव में हमें ट्विटर पर भटका हुआ समझ रहे थे। और था ये कि ट्विटर पर हम बीच-बीच में हाथ साफ़ करने चले जाते थे। आख़िर 140 अक्षरों या कैरेक्टरों में बात कहना एक साइंस टाइप की आर्ट ही तो हुई न! सो सीख जाएँ तो ठीक, वर्ना जाननी तो चाहिए कि कौन सा बटन कहाँ होता है दबाने के लिये - मान लो कल को हमें ऐसी नौबत आ जाए जैसी अमिताभ-शत्रु को दोस्ताना में आई थी - सीधे जहाज़ ही उड़ाना पड़ा था। अब कोई गाड़ी तो है नहीं, ट्विटर है…

सो ये चूँ-चूँ भी कर लेनी चाहिए ताकि जब वक़्त पड़े तो चूँ-चूँ का मुरब्बा न बन जाये।

जो फ़र्क लगा हमें ब्लॉग-ट्विटर-बज़-फ़ेसबुक में, क्योंकि हम ऑर्कुट वाली पीढ़ी के बाद के नेटियाये हुए हैं इस फ़ेज़ में (वर्ना पहला दौर तो हमारा भी वही था - हॉट-मेल वाला, जब याहू नई किस्म की मेल हुआ करती थी) वो भी दर्ज करना चहिये।

1-ट्विटर पर सीमा है, कैरेक्टरों की, बज़ में वो नहीं है। फ़ेसबुक और ब्लॉग तुलनीय नहीं समझे जाने चाहिये इस ट्विटर से।


2- बज़ पर मल्टीमीडिया पोस्टिंग संभव है, ट्विटर पर यह चक्करदार है और विभिन्न लिंकग्रस्तायमान हो जाती है जब ट्वीट - तो माइक्रोब्लॉगिंग की आत्मा मर जाती है। ट्विटर वास्तव में स्टेटस अपडेट्स देने, आपात्काल सूचनाओं के लिए, माइक्रोब्लॉगिंग के तहत गुडमॉर्निंग, आज मैंने ये किया या करूँगा/गी टाइप सेवाओं के लिये ठीक है, मगर किन लोगों के लिए ठीक है?
एक तो वो जो प्रसिद्ध हैं या राजनीति/सिनेमा/मल्टीमीडिया/ऐसे व्यवसाय में हैं कि पब्लिक ओपिनियन, फ़ैन-फ़ॉलोइंग उनके लिए हानि-लाभ तय करती हो - जिनके लिये प्रचार महत्वपूर्ण है - जो जनमत को मोड़ना-घुमाना चाहें उनके लिए बहुत बढ़िया औज़ार है।
दूसरे वो लोग जो प्रत्युत्पन्नमति और व्यंजना / व्यंग्य के प्रति सजग, सहज और कल्पनाशील हैं, जो मीडिया से जुड़े हैं, जो फ़ैशन से जुड़े हैं उनके लिए उत्तम साधन है। इस संबन्ध में मैं श्री झुनझुनवाला, शिवमिश्र (अपने वाले ही), डॉ0यमयम सिंह और सोनिया गाक्सधी की आई डी को उल्लेखनीय समझता हूँ। पहली कोटि में से जो मज़ेदार रहे हैं - वे हैं बिइंगसलमान खान, शाहरुख (आईएमएसआरके, राजदीप सरदेसाई, अनुपम खेर, करनजौहर (केजौहर) और अमिताभ बच्चन (एसआरबच्चन)। साथ ही श्रेया घोषाल और तरन आदर्श भी.

3- ट्विटर का सबसे महत्वपूर्ण गुण उसका मोबाइल पर सहज सुलभ हो सकना है। यह 24 घण्टे सम्पर्क में रहने की आवश्यकताओं को पूरा करता है।

4- फ़ेसबुक में सुरक्षा सम्बन्धी घपलों और खतरों को सबसे पहले ध्यान में रखा जाना चाहिये, इसलिये यह अच्छा होगा कि आप अपनी वास्तविक जानकारी न भरें अपने फ़ेसबुक खाते में - बल्कि कुछ ऐसे परिवर्तन कर के - जो आप तो सहज याद रख सकें अपनी इस कमोबेश फ़र्जी ओरिजिनल आईडी के बारे में - तब अपना खाता प्रयोग करें। यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप फ़ेसबुक का पूरा आनन्द नहीं ले पाएँगे, क्योंकि इससे जुड़ा हर टूल आपकी सारी जानकारी को माँगेगा - वर्ना अपनी सेवाएँ नहीं देगा। कम से कम अपने बैंक खातों और अन्य आयकर या सरकारी आईडी से भिन्न सूचनाएँ रखना तो एक न्यूनतम सजगता समझी जानी चाहिए।

5-बज़ में ऐसा कोई घपला नहीं है। बज़ में आपको फ़ेसबुक और ट्विटर का मिला-जुला स्वरूप मिलता है सुविधाओं के हिसाब से और सुरक्षा तो जीमेल की है ही! फ़िलहाल तो यह सर्वोत्कृष्ट ही समझी जा सकती है।

6- मेरी व्यक्तिगत पसन्द जो फ़िलहाल बनी है  - वह है जीमेल, ब्लॉग थोड़े बड़े और ऐसे आलेखों के लिए जो पूरी तरह सतही न हों, अड्डेबाज़ी के लिए गूगल-बज़, संपर्क बनाए रखने के लिए फ़ेसबुक और इस सबके साथ मैं ट्विटर पर भी अभी हाथ आज़माता रहूँगा। वास्तव में मुझसे भूल क्या हुई ट्विटर पर जाने में कि मैं ट्विटर न जान-समझ कर वहाँ गया तो नहीं - बस अपने ब्लॉग की पोस्टें स्वत: वहाँ ट्वीट देने के लिए जोड़ दीं। अब जब गया तो लगा कि जैसे मुझे खराब लगता है कि एक तो सिर्फ़ 140 कैरेक्टर की माइक्रो-पोस्ट : उसमें भी ब्लॉग का लिंक…? हद है यार! तो अगर आप ट्वीट करते हैं और आपकी सर्जनात्मकता और बुद्धिकौशल सहज आकर्षित करता है, तो दस प्रतिशत ब्लॉग-लिंक तक चलेगा। लेकिन ब्लॉग-लिंक के बीच दस-प्रतिशत पोस्ट - यह नहीं चलेगा और आपके फ़ॉलोवरों की संख्या इतनी कम रहेगी कि आपको मज़ा ही नहीं आएगा ट्वीट करने में।

7- फ़ेसबुक मुझे इसलिए रास आ रहा है कि मैं इसके टूल्स को समझ पाया हूँ और मोबाइल से सीधे जोड़ रखा है - तो सदा-संपर्क बना रहता है।  यही हालत अगर ट्विटर की हो जाए तो मज़ा आ जाए - समय भी बचे और ताज़गी भी बनी रहे। सच तो यह है कि शिव-मिश्र और यमयमसिंह - इन दो के कारण मैं ट्विटर छोड़ नहीं पा रहा। शायद इन्हीं के कारण मैं ट्विटर पर जमने का प्रयास भी करूँ -आगे चल कर, हालाँकि कोई सेलेब्रिटी न होने के कारण मैं सफलता और मौज के प्रति बहुत आशान्वित नहीं हूँ - पर निराश भी नहीं हूँ - क्योंकि जन-मत को अपने अनुसार ढालना मुझे आता है - बख़ूबी। दिखाऊँगा, करके जनाब।
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11 comments:

गजेन्द्र सिंह said...

शानदार प्रस्तुति .......


पढ़िए और मुस्कुराइए :-
कहानी मुल्ला नसीरुद्दीन की ...87

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी लगी आज कि यह प्रस्तुति............

डा० अमर कुमार said...


जब भी वहाँ जाओ, दोस्त !
तो बज़ इतना बज़बज़ाता दिखता है, कि सटक लेते हैं हम, कर के सलाम !

प्रवीण त्रिवेदी said...

जय हो !!!

Arvind Mishra said...

अच्छा जानकारीपूर्ण और उपयोगी विश्लेषण

प्रवीण पाण्डेय said...

फेसबुक और ट्विटर मुँह बाये दिन में 24 घंटे खाने को तत्पर दिख जाते हैं। दोनों का मुँह पूर्णरूपेण बन्द कर ही कुछ सार्थक लेखन व ब्लॉगिंग का समय निकल पा रहा है।

डॉ महेश सिन्हा said...

तो ये बात है :) अपनी अपनी चाहत ।
ये समझ नहीं आया जीमेल में तो जा पा रहे थे लेकिन बज पर नहीं । दोनों तो पड़ोसी हैं ।

Pushpendra Singh "Pushp" said...

acchi jankari ke liye
dhnyavad

Anonymous said...

ट्वीटर हो या फेसबुक या बज़ या ब्लॉग,अच्छे इंसान और अच्छी जानकारी जहाँ भी मिल जाये,चलेगा.अपन तो डरते हैं भाई इसलिए ब्लॉग और बज़ तक सिमित है.वैसे जानकारियां सभी अच्छी दी है.यूँ भी जो साइट्स फोन नम्बर भी मांग लेता है मैं डिलीट मार देती हूँ.पासपोर्ट,अकाउंट नम्बर मांगने वालो पर तो यकीन करना भी नही चाहिए.
माँ कैसी ही हिमांशु?
वे शीघ्र स्वस्थ हो और गाना सुनाये.

Gyan Dutt Pandey said...

सूचना और सामाजिकता का इतना विस्फोट है कि चौन्धिया जाते हैं हम।
एक सही स्ट्रेटेजी की तलाश में हैं!

RadhaKannaujia13dastak said...

सही हम भी औंधिया च जाते हैं.
खैर आइये अब नव वर्ष की तिमाही साफ़ होने को है.
बहुत तेज चलता है यह समय.....
नहीं !!