"इक मीर था - फिर इंशा थे - फिर फ़ाज़ली निदा; फिर फ़ाकामस्ती की हमीं ने ओढ़ ली रिदा"
===============================================ऐसा नहीं कि मैंने नए ब्लॉग कम पढ़े
ऐसा भी नहीं है कि पुरानों से कट गया
कीचड़ की सल्तनत का देख राज्याभिषेक
मन ही तो है - कुछ दिन के लिए दूर हट गया
देखा कि लोग आते हैं बेकार बात पर
अख़बार जैसी पोस्ट पर - या ज़ात-पाँत पर
चिट्ठे का नाम लिख दो तो आ जाएँ टीपने
वर्ना लगेंगे अच्छी भली पोस्ट लीपने
कुछ लोग आए सोच के अहसान करेंगे
कुछ आए कि हम आगे उनका ध्यान करेंगे
देखा तो बयालीस लोग टीप चुके थे
हम सोच के बोझे से थके और झुके थे
क्या हो गया ! हमने तो बस अनुभव किए थे दर्ज
लगता है टिप्पणी भी है इक "वोट" जैसा मर्ज़
लगने लगा कि कैसे चापलूसी करें हम
वर्ना सज़ा भुगतने का लाएँ कहीं से दम
फिर यूँ हुआ कि हमने हौसला नहीं खोया
झूठे तकल्लुफ़ात का रोना नहीं रोया
तय पाया कि फिर दर्ज ख़यालात करेंगे
जो भी हो - हौसले से अपनी बात कहेंगे
तो अब यही सोचा है कि अपने ये तज्रुबात
बाँटेंगे, मगर बाँटेंगे अपने ही ख़यालात
जो सच है वही सच, जो कबूतर वो कबूतर
गिरगिट है तो गिरगिट, जो फ़टीचर तो फ़टीचर
जाएगी झूठी दोस्ती तो जाय आज ही
इस डर का हमें करना पड़ेगा इलाज ही
कुछ भी न रहे - बाक़ी है ईमान तो क्या ग़म
दुनिया से क्या? ख़ुद अपनी नज़र में तो जँचें हम
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यानी इस फ़ैसले के बाद अब चला जाय नए ब्लॉग अनुभव लिपिबद्ध करने। वक़्त लगेगा थोड़ा, मेहनत भी।
अब देखें कौन कहता है - 'दाग़' अच्छे हैं। "धुलाई का पक्का वादा, सफ़ाई कम, क़ीमत ज़्यादा"
20 comments:
कुछ भी न रहे - बाक़ी है ईमान तो क्या ग़म
दुनिया से क्या? ख़ुद अपनी नज़र में तो जँचें हम
-बस जी, यही जज़्बा चाहिये...अनेक शुभकामना इस बेहतरीन रचना के माध्यम से उम्दा बात कहने के लिए ..सच सच!!
"आप ये न भी लिखते तो भी चलता क्योकि आप तो वसे भी दूध का दूध और पानी का पानी में विश्वास रखते हैं....पर फिर भी आपकी रचना बेहतरीन है ठीक आपके गद्यों की तरह.....बेबाक ..."
दर्ज किया
आपने तो चादरें फ़ाका-ए-मस्ती ओढ़ ली,
हमसे बोले ढूढ़ लाओ कुछ लकीरें आग की ।
बहुत ख़ूब ! हम को तो भाई जँच गई ये आप की अदा !!
कुछ भी न रहे - बाक़ी है ईमान तो क्या ग़म
दुनिया से क्या? ख़ुद अपनी नज़र में तो जँचें हम
सही मार्गदर्शन
जाएगी झूठी दोस्ती तो जाय आज ही
इस डर का हमें करना पड़ेगा इलाज ही
कुछ भी न रहे - बाक़ी है ईमान तो क्या ग़म
दुनिया से क्या? ख़ुद अपनी नज़र में तो जँचें हम
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Friendship is never fake. If it ends, it was never genuine.
For me friendship is the most cherished relationship.
mera koi ho na ho,
mere dost bahut hain,
wo jhoota samjhe to smjha karein,
hum to nibhaye jaayeinge- Khushi se !
Once accepted is a friend forever !
अपनी नजरों में जँचना ही बड़ी बात है.
तय पाया कि फिर दर्ज ख़यालात करेंगे
जो भी हो - हौसले से अपनी बात कहेंगे
लोगों का क्या वो बस सवालात करेंगे
आप दिन कहेंगे तो वो रात कहेंगे
आपकी कविता, आपके ख़याल, आपकी कलम...यानि कुल मिला कर सबकुछ नायब है इस ब्लॉग जगत के लिए....
मैं आपका हृदय से शुक्रिया भी करना चाहती हूँ...मेरी कलम से निकली हुई चंद पंक्तियाँ आपके हाथों विस्तार पा गयीं हैं...आपने मेरी कविता का संबल बढाया है....
बहुत आभारी हूँ..
और देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ...
धन्यवाद...!!
बढ़िया खींचें हैं. हम तो कहेंगे कि;
टिप्पणी तो टिप्पणी है, मिल गई तो ठीक है
न मिली तो पोस्ट का होगा वही, 'खाना-खराब'
और 'दाग़' तो अच्छे हैं ही. तमाम शायरों ने उनकी हँसी उड़ाते हुए कहा;
आया दिल्ली से इक नया मुश्की
आते ही अस्तबल में 'दाग़' हुआ
लेकिन 'दाग़' थे कि हार नहीं मानी....:-)
nice
जाएगी झूठी दोस्ती तो जाय आज ही
इस डर का हमें करना पड़ेगा इलाज ही
कुछ भी न रहे - बाक़ी है ईमान तो क्या ग़म
दुनिया से क्या? ख़ुद अपनी नज़र में तो जँचें हम
बहुत ही गहरी बात कही है....ऐसी दोस्ती किस काम की, जो सच का बोझ ना उठा सके....और बस अपनी नज़रों में जंचे रहें..इतना ही काफी है.
Pahli baar aapke blog ko padh raha hun.Aapke likhne ka andaaz, aapki saafgoi hame pasand aai.Maine socha tha aap dikhne men kaafi Aakarshak lagten hain..lekin aap ke blog par aa kar ainsa lagaa ki aap likhte aur bhi aakarshak hain.
Lagta hai ab regular padhna padega.
Achha likhne ke liye aapko dhnaybaad. May God Bless you.
बढ़िया काफिया मिलाया है भाई ।
तो अब यही सोचा है कि अपने ये तज्रुबात
बाँटेंगे, मगर बाँटेंगे अपने ही ख़यालात
जो सच है वही सच, जो कबूतर वो कबूतर
गिरगिट है तो गिरगिट, जो फ़टीचर तो फ़टीचर
Aap shuruat kijiye ,hum log bhi piche piche ate hain.
धुलाई का इन्तज़ार है :) दागो की सफ़ाई जरूरी है..
किसी मेरे जैसे शायर ने ही कहा था कि -
हमको मालुम है ब्लोगजगत की हकीकत लेकिन,
दिल के खुश रखने को हिमान्शु जी, ये ख्याल अच्छा है...
बहुत सुन्दर रचना !
sachhai ko bahut khoobsurat tareeke se prastut kiya hai aapne.
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